Solar Cycle
From Left: Mr. Pasad Choudhari, Mr. Gole akshay chandrakant, Mr. Rahul Udawant, Dr. Adinath M. Funde |
सकाळ (पुणे) मार्च १३, २०१५
पेट्रोल एवं डीजल के इस्तेमाल के कारण प्रदुषण मैं वृद्धि हो रही हैं। बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण नागरिकों के स्वस्थ्य की समस्याएं भी बढ़ रही हैं। सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा इस प्रश्न का समाधान हो सकती हैं। पुणे के सावित्रीबाई पुले पुणे विश्वविद्यालय ( पेहेले पुणे विश्वविद्यालय ) की ऊर्जा अभ्यास प्रणाली के संशोधकोने इस साइकल की रचना की हैं। ६० से ७० किलोमीटर की दूरी को पार करने के लिए डिज़ाइन किये गए इस साइकल मैं लिथियम पॉलीमर बैटरी, ब्रशलेस व्ही सी मोटर एवं सोलर पैनल का प्रयोग किया गया हैं। ६० से ७० किलोमीटर की दूरी को पार करने के लिए डिज़ाइन किये गए इस साइकल मैं लिथियम पॉलीमर बैटरी, ब्रशलेस व्ही सी मोटर एवं सोलर पैनल का प्रयोग किया गया हैं।
ऊर्जा अभ्यास प्रणाली के डायरेक्टर प्रो. घैसास इनके मार्गदर्शन के अनुसार कर्मचारी एवं M.Tech. के छात्रों ने इस सूर्य की ऊर्जा पर चलनेवाली साइकल की रचना की हैं। साइकिल के छत के ऊपर सोलर पैनल को बैठाने की व्यवस्था की गयी हैं। इस सोलर पैनल की क्षमता ५० watt हैं। लेकिन बैटरी को चार्ज करने के लिए इस साइकिल को दिन भर धुप मैं रखना आवश्यक हैं।
डायरेक्टर डॉ घैसास के मुताबिक यदि इस प्रकार की साईकिल का प्रयोग किया जाये तो हवा मैं फैलने वाले प्रदुषण पर हम कुछ हद तक नियंत्रण पा सकते हैं। इस प्रकार के साईकिल के इस्तेमाल से पेट्रोल एवं डीज़ल की बचत हो सकती हैं। साइकिल को धूप में रखने से उसकी बैटरी चार्ज हो जाती हैं। और अपने समय एवं पैसो की बचत होती हैं। केवल गियर कि साइकिल ही नहीं तो नॉर्मल साइकिल के ऊपर भी सोलर पैनल बिठाएँ जा सकते हैं। सोलर पैनल सूर्य की ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं। इसी लिए इस साईकिल का प्रयोग हम दिन भर मैं कभीभी कर सकते हैं। लेड एसिड बैटरी इस साईकिल को २५ से ३० किलोमीटर तक ले जा सकती हैं। सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय ( पेहेले पुणे विश्वविद्यालय ) मैं इस साइकिल का टेस्ट हो चूका हैं।
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